Sunday, June 28, 2009

बच्चे स्कूल नहीं जाएंगे तो जुर्माना अभिभावक भरेंगें

अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजने वाले अभिभावकों पर अब मध्यप्रदेश में जुर्माना लगाया जा सकेगा। जुर्माने की रकम एक हजार रूपए तक हो सकती है।
आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि यदि कोई माता-पिता, अभिभावक अथवा पालक अपने बच्चे का नाम स्कूल में दर्ज नहीं कराते हैं तो अभिभावक-शिक्षक संघ उन पर जुर्माना लगाने का प्रस्ताव ग्राम शिक्षा समिति को भेजेगा।
स्थानीय निकाय जुर्माना लगाएगी और इसे भू़़-राजस्व के तौर पर वसूला जाएगा। प्रदेश में शिक्षा चौपाल के माध्यम से 29 जून से ''स्कूल चलें हम'' अभियान शुरू किया जाएगा। अभियान के तहत 30 जून से 7 जुलाई तक घर-घर जाकर स्कूल जाने योग्य बच्चों की पहचान की जाएगी तथा एक जुलाई से 14 जुलाई तक स्कूलों में प्रवेशोत्सव होगा। 14 जुलाई को बच्चों को नियमित स्कूल आने की शपथ दिलाई जाएगी।
सभी जिला कलेक्टरों से कहा गया है,''वे यह सुनिश्चित करें कि उनके जिले में कोई भी बसाहट और किसी भी गांव का कोई बच्चा स्कूल जाने और शिक्षा पाने से वंचित न रहे।''
जिलों के शिक्षा अधिकारियो को निर्देश दिए गए हैं कि बच्चों को किताबों पर कवर चढ़ाने और साफ सुथरा नाम लिखने का भी प्रशिक्षण भी दिया जाए और स्कूलों में पुस्तकों का वितरण शतप्रतिशत सुनिश्चित हो।

Friday, June 19, 2009

स्कूल चलें हम अभियान से जुड़ेंगे जनप्रतिनिधि

मध्यप्रदेश सरकार ने महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ''स्कूल चलें हम'' से अब जनप्रतिनिधियों को भी जोड़ने का फैसला लिया है। आधिकारिक तौर पर आज यहां मिली जानकारी में कहा गया है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश दिया है कि इस वर्ष 29 जून से 14 जुलाई तक चलने वाले इस अभियान से जनप्रतिनिधियों धर्मगुरुओं अधिकारियों कर्मचारियों स्वैच्छिक संगठनों स्थानीय निकायों के निर्वाचित पदाधिकारियों और पंचायत राज संस्थाओं को भी जोड़कर अभियान की सफलता सुनिश्चित की जाए।
जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री का कहना है कि स्कूल चलें हम अभियान किसी एक विभाग या सिर्फ राज्य सरकार का कार्यक्रम नहीं है। शिक्षित समाज के निर्माण के लिए यह आवश्यक है कि स्कूल जाने योग्य कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित नहीं रहने पाए।
चौहान स्वयं भी अभियान में शामिल होने के लिए कम से कम तीन-चार स्थानों पर जाएंगे। सचिव एवं प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी भी अभियान की सफलता सुनिश्चित करने और जनता को प्रेरित करने के लिए जिलों में जाएंगे। अभियान के तहत तीन से चौदह वर्ष आयु के सभी बच्चों की पहचान के लिए घर-घर सम्पर्क कर सर्वेक्षण किया जाएगा। स्कूल शिक्षा विभाग के सूत्रों ने बताया कि इसी सिलसिले में राज्य सरकार 29 जून को शिक्षा चौपाल का आयोजन करेगी ्र एक जुलाई से 12 जुलाई तक प्रवेशोत्सव और 14 जुलाई को शिक्षा सभा का आयोजन किया गया है। मुख्यमंत्री ने इन सभी आयोजनों में सभी वर्गो की सक्रिय भागीदारी को आवश्यक बताया है।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश सहित तीन राज्यों का केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के क्रियान्वयन के लिए चयन किया है। अभियान का उद्देश्य प्रत्एक बसाहट से पांच किलोमीटर की दूरी पर माध्यमिक शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराना ्र हाईस्कूलों में ढांचागत सुविधाओं को निर्धारित मानदंडों के अनुरुप बनाना और माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में सामाजिक ़ आर्थिक ्र विकलांगता एवं जेंडर गैप के अवरोधों को दूर करना है।
सूत्रों का कहना है कि अभियान का लक्ष्य वर्ष 2012 तक हाईस्कूलों में औसत नामांकन दर 75 प्रतिशत प्राप्त करते हुए वर्ष 2017 तक माध्यमिक स्तर की शिक्षा को सर्व सुलभ बनाना है। मध्यप्रदेश में इसके लिए समिति का पंजीयन और हाई पावर टास्क फोर्स का गठन हो गया है।
इसी माह सम्पूर्ण परियोजना तैयार कर केन्द्र को भेज दी जाएगी जबकि शैक्षणिक रुप से पिछडे़ विकास ब्लाकों में 200 माडल हायर सेकेंडरी स्कूलों और 200 कन्या हायर सेकेंडरी छात्रावासों की स्थापना की परियोजना भेजी जा चुकी है। सूत्रों ने बताया कि विभाग की 100 दिवसीय कार्य योजना के तहत प्रदेश में 200 माध्यमिक शाला भवनों के निर्माण और शालाओं में एक हजार अतिरिक्त कक्षाओं के निर्माण का कार्य शुरु किया गया है।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने विभाग से संबंधित जो 491 घोषणाएं की थीं उनमें से 450 पूरी हो चुकी हैं और शेष पूर्णता की ओर है। वर्ष 2008-09 में 919 सैटेलाइट शालाएं ्र 1013 नई माध्यमिक शालाएं 1185 हाई स्कूल और 215 हायर सेकेंडरी शालाएं प्रारंभ की गई हैं। राज्य में 15 नए कस्तूरबा गांधी विद्यालय भी प्रारंभ किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि गैर आवासी ब्रिज कोर्स में 21 हजार 93 बच्चे भर्ती किए गए है। शिक्षा के लिए बालिकाओं को आकर्षित करने के उद्देश्य से मुफ्त साइकिल वितरण का लाभ गत वर्ष 3.93 लाख बालिकाओं को दिया गया।